सुप्रभात!!
हमारे बुज़ुर्ग सच ही कहा करते थे कि प्रसन्नता के वशीभूत हो कर किया गया वचन/वादा; क्रोध के वशीभूत हो कर दिया गया जवाब और अवसाद की अवस्था में लिया गया निर्णय सदैव पश्चाताप का कारण बनते हैं!
नज़र उठाकर देखेंगे तो हमारे आसपास ही ऐसे सैंकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे, नहीं तो इतिहास के झरोखे से ही झांक लें-
राजा दशरथ ने अत्यधिक प्रसन्नता के वशीभूत हो कैकेयी को वचन दिए: नतीजा?
द्रौपदी ने क्रोध के वशीभूत हो कर दुर्योधन को अपशब्द कहे: नतीजा??
धृतराष्ट्र ने अवसाद की अवस्था में महाभारत के युद्ध का निर्णय लिया: नतीजा???
मंगलवार का दिन हम सभी के लिए मंगलकारी हो🙏🏻🙏🏻