सुप्रभात!
द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने कहा था- “भाग्य की फसल पुरुषार्थ की ज़मीन पर ही लहलहाती है।”
कलयुग में गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी दोहराया- “सकल पदारथ है जग माहीं; करम हीन नर पावत नाहीं ।”
और आधुनिक युग में भी यही परम सत्य है कि सही दिशा में प्रयास किये बिना आप सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकते। प्रत्येक व्यक्ति विचारवान है, हर एक के मस्तिष्क में एक से बढ़ कर एक नवीन और असंख्य क्रांतिकारी विचार उत्पन्न होते हैं किंतु सफल वे ही लोग होते हैं जो उन विचारों को धरातल देते हैं अर्थात उनका क्रियान्वयन करते हैं।
कर्म का सिद्धांत खोखला सिद्धांत नहीं है। कर्म ही जीवन्त होने की निशानी है। अतः कर्म करने को ही प्राथमिकता देना श्रेयस्कर है। फिर जैसा और जिस स्तर का कर्म होगा, उसके अनुरूप फल तो स्वतः मिल जाएगा।
We may not know where we’re going, but so long as we spread our wings, the winds will carry us…!!
हम सभी का दिन सुखद और कल्याणकारी हो