सुप्रभात!
“शांति” ….बड़ा ही प्रभावी किन्तु रहस्यमयी शब्द लगता है मुझे।
हम में से प्रत्येक के लिए शांति का मतलब भिन्न हो सकता है।
मैं मन की शांति चाहता हूँ तो मेरा पड़ोसी वातावरण में शांति चाहता है। कोई तनाव से मुक्ति को शांति मानता है तो कोई आध्यात्मिक चिंतन को शांति समझता है!
वस्तुतः शांति के मायने हैं- हर प्रकार की चिंता, बाधा, तनाव आदि से मुक्ति!
शांति पाने के अनेक मार्ग और मध्यम हैं। कोई इसे प्रार्थना और योग के जरिये पा लेता है तो कोई धार्मिक पुस्तकों और धर्म गुरुओं की सभाओं में इसे तलाशता है। कई धनिक ऐसे भी हैं जो इसे पाने के लिए तथाकथित दार्शनिकों और प्रशिक्षकों की शरण में भी जाते हैं।
असल में शांति प्राप्ति के प्रयास तब तक व्यर्थ हैं, जब तक कि हम अपने मनोभावों पर काबू रखने की क्षमता प्राप्त न कर लें। क्योंकि भावावेश में आकर ही हम स्वयं अथवा कोई और हमारी शांति को भंग कर देता है।
दलाई लामा की मानें तो अशान्तचित्त व्यक्ति पर क्रोध अथवा आक्रोश नहीं करना चाहिए, इसके विपरीत हमें यह अनुमान लगाना चाहिए कि वह किस मानसिक विकृति से ग्रसित हो कर यह कार्य कर रहा है। यदि हम यह जानने में सफल हो गए तो भविष्य में हम उस मनोभाव से स्वतः सतर्क रहेंगे।
आइये, प्रयास करें कि शांति की हमारी खोज सफल हो और हम सही मायने में इसका आनंद ले सकें।
ईश्वर हम सभी के मार्गदर्शक हों!!
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