जब आवे संतोष धन!!

नमस्कार मित्रों,

क्या आप जिंदगी में शांति और खुशहाली की तलाश में हैं? यदि हां, तो आपकी सफलता इस बात पर निर्भर है कि सबसे पहले आप संतोष अथवा सबूरी की कीमत को जान लें।

यदि आपको खुशहाल, सक्रिय और संतुष्ट बने रहना है तो आपको अपनी निजी शक्ति/सामर्थ्य/क्षमता और कमजोरियों का ज्ञान होना चाहिए। यदि हम अपनी सामर्थ्य से अधिक की चाह करेंगे तो हमारा जीवन कभी सुंदर और खुशहाल बन ही नहीं सकता।

आप सभी मेरी इस बात से अवश्य सहमत होंगे कि हम सब खुशहाल रहना चाहते हैं, शांतिपूर्ण जीवन चाहते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं पाता!

कभी सोचा है ऐसा क्यों नहीं हो पाता???

मैंने इस बारे काफी सोचा, पढ़ा, चर्चा की और इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि हमारी खुशहाली के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है हमारी कभी खत्म ना होने वाली इच्छाएं/कामनाएं!!

हमें एक खुशी मिलती है, हम उसका आनंद उठाने से पहले ही दूसरी की कामना में दुःखी होने लगते हैं। अर्थात दूसरे शब्दों में कहें तो भौतिकवाद हमारे सुखद जीवन के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है और यह बाधा कोई और हमारे जीवन से दूर नही कर सकता। इसके लिए हमें स्वयं अपनी जरूरतों की मर्यादा तय करनी होगी और आत्मज्ञान अर्थात अपनी सामर्थ्य की सीमाएं तय करनी होंगी।

यदि हम ऐसा कर पाए तो हमारी जिंदगी निश्चित तौर पर खुशहाल और शांतिपूर्ण हो सकती है।

कहा भी है- जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान!

सोचें, सक्रिय हों और अपनी चाह की सीमा रेखा तय करें। ईश्वर हम सब के साथ हैं।

Published by DR. TRILOK SHARMA

I have traveled a long way towards the final destination of life. Many times I took a wrong turn on the road and spend a lot of precious time to come back on main road. Many times, I helped & supported the people who did not deserve my attention, and unknowingly ignored the ones who cared for me. Through this site, I want to put some traffic signs on the route of life to help those who are willing not to make similar mistakes that I did.

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