सुप्रभात!
जब कभी भी किसी सभा या सेमीनार में मैं आकर्षण के नियम (लॉ ऑफ अट्रैक्शन) की बात करता हूँ तो वहां तुरंत दो समूह बन जाते हैं- पहला वो जो इसके बारे में अधिक जानना और समझना चाहता है और दूसरा वो जो इस तरह के किसी नियम के अस्तित्व को ही स्वीकार नहीं करता। हालांकि सभा के अंत तक दूसरा समूह न केवल सहमत हो जाता है, वरन वो पहले समूह से भी अधिक जिज्ञासु और समर्पित हो जाता है।
ऐसा इसलिए नहीं कि वो मेरे भाषण से प्रभावित हुए, बल्कि ऐसा इसलिए होता है कि आकर्षण का नियम मौजूद है…ठीक वैसे ही जैसे हमारे इर्द-गिर्द हवा मौजूद है।
यह नियम बड़ा ही सीधा और सादा है। जैसा हम निरन्तर सोचते रहते हैं, वैसी ही परिस्थितियों का निर्माण हमारे जीवन में होता रहता है, यह अटल सत्य है। इस तथ्य की पुष्टि हमारे प्राचीन ग्रंथों में तो है ही, आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी इस नियम की पुष्टि की है। भौतिक विज्ञानियों तो यहां तक कह दिया है कि Quantum Theory का मूल आधार ही आकर्षण का नियम है। वैज्ञानिकों ने अपने कई शोध के बाद यह स्वीकार किया है कि Quatum Particles (किसी भी पदार्थ की वह सूक्ष्मतम मात्रा जिसे देखा या महसूस किया जा सकता हो) का व्यवहार उस शोधकर्त्ता की सोच और अनुमान के अनुरूप ही होता है, अर्थात शोधकर्त्ता का पूर्वानुमान या यों कहें कि उसका intuition ही कार्य करता है।
इस सारी वैज्ञानिक चर्चा का हम आम लोगों के जीवन से क्या संबध है???
यही सवाल प्रायः मुझे पूछा जाता है।
जवाब यह है कि, इन वैज्ञानिक शोधों का हमारे जीवन मे बडा ही दूरगामी संबंध है।
यह तो हम सभी मानते हैं कि हमारा ब्रह्मांड 5 तत्वों से बना है- जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश! हम हर समय इन पांचों तत्वों के संपर्क में रहते हैं । अब अगर वैज्ञानिकों की मानें तो हमारी विचार तरंगें प्रतिपल इन तत्वों में समाहित हो रही हैं और वही तरंगें हमारे इर्द-गिर्द घूम रही हैं, तो निश्चय ही ये अपना प्रभाव हमारे जीवन पर डालेंगी ही। इसीलिये हमारे ऋषि-मुनियों ने तो हमारी संगत और आसपास के वातावरण की शुद्धता पर भी बहुत बल दिया है।
अब मुद्दे की बात, इस आकर्षण के नियम से हम किस प्रकार लाभान्वित हो सकते हैं???
जरा सी सावधानी….थोड़ा सा अभ्यास और थोड़ा सा ऑब्जरवेशन! इन तीन बातों के सहारे हम इस नियम से फायदा उठा सकते हैं।
कुछ अभ्यास के बिंदु यहां लिख रहा हूँ, प्रयास करें और नतीजे देखें:
1. नकारात्मक सोच को दूर रखें। यह न सोचें कि मैं दुःखी हूँ, बल्कि यह सोचें कि मेरा सुख किसमे हैं….ये न कहें कि मैं यह काम नहीं कर सकता, बल्कि यह कहें कि यह काम ऐसेहो सकता है।
2 यह न कहें कि मैं कर्ज़ से मुक्त होना चाहता हूँ, बल्कि यह कहें कि मुझे अधिक धन कमाना है। यदि हमारे दिमाग मे कर्ज़ घूमता रहेगा तो हम कभी कर्ज़ मुक्त नहीं हो सकते।
3 मैं बहुत टेंशन में हूँ ऐसा न सोचें, बल्कि ये सोचें कि जीवन मे खुशियां कैसे आएंगी
सार की बात ये कि जो भी नकारात्मक शब्द, व्यवहार या भावनाएं हमें घेरती हैं वे नकारात्म रिजल्ट लाती हैं और अगर हम सकारात्मक सोच और व्यावहार अपनाएँगे तो नतीजे भी सकारात्मक ही आएंगे, यह तय है।
हाँ, इसके लिए अभ्यास और ऑब्जरवेशन बहुत जरूरी है।
शुभमस्तु💐💐💐
well said..positive thoughts always attract positive results. remaining positive in every situation is an art that we need to know. Without being positive we start dying slowly…
आप धीरे धीरे मरने लगते हैं जब…/ You start dying slowly…
https://mummykiduniya.wordpress.com/2018/08/13/you-start-dying-slowly/
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Thanks sir
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Please send my Write up about book.
Regards
Thanking you
Dinesh Joothawat
B.com, LLB (GEN), FCA, FCS
Member of Expert Committee National Commission of Protection of Child Rights Govt of India
Member of Station Master Committee, Western Railway Mumbai
D-9, Om Parshwanath Apartment, Mulji Nagar, Borivali Mumbai 400092
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