हमारा देश विविधताओं से भरा है इसमें कोई संदेह नहीं। और इसमें भी कोई संदेह नहीं कि यहां पारम्परिक विद्या का भी अनुपम भंडार है।
ऐसी ही एक विद्या है – मानसून का पूर्वानुमान! ये पारम्परिक विद्या आज भी लगभग 100% तक सत्य आकलन करने में मदद करती है। इसमें कुम्हार (कुम्भकार, प्रजापति) अपने यंत्र पर 4 कुल्हड़ बनाते हैं और प्रत्येक कुल्हड़ मानसून के चार महीनों (आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विन/आसोज) का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रक्रिया में यदि कोई कुल्हड़ नहीं फूटता है तो यह माना जाता है कि उस माह विशेष में वर्षा नहीं होगी।
इस वर्ष 2020 के लिए किए गए परीक्षण में कुम्हार के मौसम यंत्र के अनुसार इस बार चारों ही महीनों (चौमास) में अच्छी वर्षा होगी…!!! तमाम बुरी खबरों के बीच एक सुकून देने वाली खबर🙏 लोक मान्यता है कि मौसम विभाग (विज्ञान) का अनुमान फेल हो सकता है,मगर इनका अनुमान नहीं। भारत में कुम्हारों द्वारा वर्षा का पूर्व अनुमान लगाने की यह अनोखी विधि सदियों पुरानी है।
आप भी देखें और समझें…👍👍