
क्या आप ने कभी ध्यान दिया है कि आप के मन में हर पल क्या चलता रहता है?
यह भूतकाल और भविष्य के बीच में डोलता रहता है। यह या तो जो बीत गया है, उसमें व्यस्त है या फिर भविष्य के बारे में सोचता रहता है।
ज्ञान, मन के इस तथ्य से जागरूक होना है और जागरूक होने की यह प्रक्रिया योग के माध्यम से सम्पन्न की जा सकती है।
आप किसी भी विषय पर पुस्तक खोल सकते हैं, लेकिन मन की जागरूकता पुस्तक से नहीं सीखी जाती।
मन की एक और प्रवृत्ति है। यह नकारात्मक को जकड़े रहता है। अगर 10 सकारात्मक घटनाओं के बाद एक नकारात्मक घटना हो जाए तो मन नकारात्मक घटना से चिपका रहेगा। योग एवं ध्यान द्वारा आप मन की इन दो प्रवृत्तियों से सजग हो जाएंगे और उसे वर्तमान में ले आएंगे। ख़ुशी, आनंद, उत्साह, कार्यक्षमता ये सब वर्तमान में हैं।
जब आप योग एवं ध्यान द्वारा मन को उन्नत करते हैं तो इसकी नकारात्मकता को पकड़े रखने की प्रवृत्ति अदृश्य हो जाती है। आप वर्तमान क्षण में जीने का सामर्थ्य पा लेते हैं और भूतकाल को छोड़ने में सक्षम हो जाते हैं।
चंचलता, उग्रता, इच्छा और महत्वाकांक्षा मन को उत्तेजित करते हैं और उसे भविष्य की योजनाओं में या भूतकाल के बारे में व्यस्त रखते हैं। सच्ची मुक्ति अतीत और भविष्य से मुक्ति है।
योग के माध्यम से अर्जित ज्ञान, समझदारी और अभ्यास का संगम जीवन को सम्पूर्ण बनाता है। जब आप चेतना की उच्चतर अवस्था में आगे बढ़ते हैं तो पाते हैं कि विभिन्न परिस्थितियों और उपद्रवों से असंतुलित हो कर अब आप नहीं गिरते। नियमित अभ्यास दिन भर शांति और ऊर्जा प्रदान करता है तथा आपके तंत्रिका तंत्र को उन्नत करके जीवन की गुणवत्ता को पूरी तरह से बदल देता है। आप एक सुंदर व्यक्ति बन जाते हैं, जो किसी शर्त के बिना जीवन में विभिन्न मूल्यों को अनुकूल बनाने में समर्थ होता है।