वयधम्मा संखारा, अप्पमादेन सम्पादेथ

वह वैशाख पूर्णिमा ही थी जिस दिन भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण का वरण किया था।रात समाप्त होने वाली थी। भगवान ने आंखें खोली, अपने अनुयायियों की ओर देखा और उनके श्री मुख से सभी भावी साधकों के लिए अनमोल विरासत के रूप में उद्बोधन के ये अंतिम बोल मुखरित हो उठे-वयधम्मा संखारा, अप्पमादेन सम्पादेथ।अर्थात –Continue reading “वयधम्मा संखारा, अप्पमादेन सम्पादेथ”