जामवंत बोले दोउ भाई। नल नीलहि सब कथा सुनाई।। राम प्रताप सुमिरि मन माहीं। करहु सेतु प्रयास कछु नाहीं।। बोलि लिए कपि निकर बहोरी। सकल सुनहु बिनती कछु मोरी।। राम चरन पंकज उर धरहू। कौतुक एक भालु कपि करहू।। धावहु मर्कट बिकट बरूथा। आनहु बिटप गिरिन्ह के जूथा।। सुनि कपि भालु चले करि हूहा। जयContinue reading “Standing is harder than moving…चलते रहो सदैव जगत में, चलते रहो निरंतर!!”