अक्षय तृतीया महात्म्य

आज अक्षय तृतीया है ।
हमारे शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, इस दिन किया जाने वाला पुण्य अक्षय होता है। ये तो लगभग सभी को पता है। लेकिन इसे गौर से देखिये और सोचिये, कि यदि इस दिन किया जाने वाला पुण्य अक्षय होता है तो बाकी दिन किया जाने वाला पुण्य का क्या होता है ?
वो क्या अक्षय नहीं होता ?
वो घट जाता है क्या ?
इसका मतलब पुण्य घटते भी हैं !!!
ओह तेरी !
जी हाँ ! पुण्य घटते और बढ़ते हैं । कैसे घटते, बढ़ते हैं ? इसको समझिये, सारे पुराणों और शास्त्रों का सार ये ही है इसलिए इसे ध्यान से पढ़िए । आप जो भी पुण्य करते हैं वो दो प्रकार के फल देते हैं, एक इहलोक में और एक परलोक में (स्कन्द पुराण)। जो पुण्य इहलोक में फल दे देते हैं, उनका क्षय हो जाता है और जो परलोक में फल देते हैं, उनका भी क्षय होता है (भागवत पुराण) इसीलिए इन्द्र बारम्बार बदलते रहते हैं क्योंकि उनके पुण्य का क्षय हो जाता है । यानी जो जो पुण्य के फल को आप use कर लेते हैं, वो पुण्य समाप्त हो जाते हैं।
जरूरी बात है, फिर से समझिये – जैसे आपकी सैलरी 1 तारीख को आपके अकाउंट में ट्रान्सफर होती है और आप उसे अपने घर का सामान खरीदने में खर्च कर डालते हैं और महीने के आखिर तक वो सैलरी ख़त्म हो जाती है ऐसे ही आप पुण्य करते हैं, जिस से आप सुख भोगते हैं और वो पुण्य ख़त्म हो जाते हैं । बिलकुल एकाउंटिंग सिस्टम की तरह। आपको यदि सुखी रहना है तो अपने पुण्यों को बढाते रहिये । इसका बैलेंस जीरो नहीं होना चाहिए । अगर हो गया तो क्या होगा ?
बताता हूँ, पर उससे पहले इसी तरह पापों को समझिये जब आप पाप करते हैं तो क्या होता है ? पुण्य आपके अकाउंट में बैलेंस बढ़ाता है और पाप बैलेंस घटा देता है। धर्म की गति सूक्ष्म होती है इसलिए पुण्य धीरे धीरे बढ़ता है लेकिन पाप की गति तेज होती है, जैसे एक झूठ छिपाने के लिए 100 झूठ बोलने पड़ते हैं , बढ़ गए न पाप। एक क़त्ल को छिपाने के लिए आसाराम जी की तरह से और गवाहों की हत्या करानी पड़ती है।
ऐसे ही पुण्य धीरे धीरे बढ़ता है लेकिन पाप तेजी से। जैसे आपको तनखा मिली और आपने महीने के शुरू में ही कोई मंहगी चीज खरीद ली। पैसे ख़त्म, अब टेंशन, घर कैसे चलेगा ? ऐसे ही पाप भी आपके पुण्य के अकाउंट में से बैलेंस कम कर देता है।
इस तरह से कर्म करने से, मनुष्य इस पाप-पुण्य के खेल में पडा रहता है। इसी लिए दास मलूका कह गए थे… क्या कह गए थे ?
अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम,
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम।
ऐसा क्यों कह गए ?
वैसे तो इसके पीछे बहुत बड़ी और मजेदार कहानी है पर अभी केवल सार की बात करते हैं। वो इसलिए कह गए थे कि पुण्य के अलावा एक चीज और है जिस से आपके पाप नष्ट हो सकते हैं और वो है ईश्वर का नाम (भगवत पुराण, स्कन्द पुराण, गरुण पुराण आदि आदि)।
जैसे आप शिव कवच को पढ़िए, उसमें लिखा है – मेरे पापों को दग्ध कीजिये। आपने त्रिशूल से मेरे पापों का उच्छेदन कीजिये।
और जगह देखें –
दीनबन्धु, दुखहर्ता?
दुखहर्ता कैसे ?
पापों को मिटा के!

पाप हरो देवा !
पाप को हरिये प्रभु।

मतलब जितनी आरती, भजन, स्तुति हैं, सब में यही बात है कि मेरे पापों को क्षरण कीजिये प्रभु ! पापों का क्षरण होगा, ईश्वर के नाम से। तो पुण्य का बैलेंस बना रहेगा और आप सुखी रहेंगे।
अब आते हैं पुरानी बात पर, यदि पुण्य खतम हो गए तो क्या होगा ? तो आप अपने पापों को भोगेंगे।
क्योंकि अब आपके अकाउंट में कुछ बैलेंस नहीं है चुकाने के लिए सो आपको अब पाप भोगने ही पड़ेंगे।
ये शारीरिक कष्ट (तबीयत खराब होना, कोई गंभीर बीमारी होना इत्यादि) हो सकता है, मानसिक कष्ट (पारिवारिक या सिमिलर) हो सकता है, ज्यादा भयंकर पाप हैं तो दोनों हो सकते हैं।
आप ये न समझें, कि बिलगेट्स ऐसे ही अमीर बन गए और अमीर बने रहे या टाटा ऐसे ही अमीर बना हुआ है ! इन लोगों की चेरिटी देखिये, आपको पता भी नहीं है इन लोगों ने कितने लोगों की क्या क्या मदद की है और कितना पुण्य अर्जित किया है! (इसमें कुछ भाग प्रारब्ध का भी होता है, प्रारब्ध के बारे में फिर कभी)।
सार ये है कि यदि आपको सुखी होना है तो पुण्य का बैलेंस बनाए रखें। आप काम कीजिये, मत कीजिये, आपके पास न धन की कमी होगी, न धान्य की और न सुख की।
यही हमारे शास्त्रों और पुराणों की फिलोसफी है जिसपर सारा धर्म टिका हुआ है।
फिर मनुष्य की मृत्यु कब होती है ? जब वो उसके सारे पुण्य और पाप, इहलोक वाले (including प्रारब्ध) समाप्त हो जाते हैं। कहते हैं न, इसके पापों का घड़ा भर गया मतलब अब इसके पाप फलित होंगे और ये मृत्यु को प्राप्त होगा। जो इहलोक वाले पाप पुण्य थे वो ख़तम, अब परलोक में जो खर्चा होगा वो भी इसी आधार पर होगा और चित्रगुप्त जी आपकी कुंडली लेकर बैठे होंगे (गरुड़ पुराण) फिर आप वहां अपने पाप और पुण्य का खर्चा करके वापिस जन्म लेंगे और पुण्य कमाने के लिए (गीता)।
उपरोक्त सार, शास्त्र सम्मत और निचोड़ है सारे शास्त्रों का! इसके बाद कहानी शुरू होती है मोक्ष की। जब इसे समझ लेंगे, फिर मोक्ष की बात करेंगे। (एक मित्र की वॉल से साभार)
आज अक्षय तृतीया के दिन अक्षय पुण्य अर्जित करें👍👍💐

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Published by DR. TRILOK SHARMA

I have traveled a long way towards the final destination of life. Many times I took a wrong turn on the road and spend a lot of precious time to come back on main road. Many times, I helped & supported the people who did not deserve my attention, and unknowingly ignored the ones who cared for me. Through this site, I want to put some traffic signs on the route of life to help those who are willing not to make similar mistakes that I did.

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